दोस्ती में ही जो वफ़ा मिलती

दोस्ती में ही जो वफ़ा मिलती | Ghazal dosti

दोस्ती में ही जो वफ़ा मिलती ! ( Dosti mein hi jo wafa milti )     दोस्ती में ही जो वफ़ा मिलती ! रोज़ तेरी दिल में सदा मिलती   मंजिलें मिल जाती मुझे मेरी जो मुझे अपनों से दुआ मिलती   रोज़ ग़म से न यूं  तड़पता फ़िर जीस्त में जो ख़ुशी ख़ुदा…