जिन्हें ज़िन्दगी हम बनाने लगे थे | Ghazal Jinhen Zindagi
जिन्हें ज़िन्दगी हम बनाने लगे थे ( Jinhen zindagi hum banane lage the ) वो ख्वाबों की दुनिया सजाने लगे थे हमें देखने आने जाने लगे थे ।। छुपाने पड़े थे हमें भी तो आँसूँ । सनम दूर हमसे जो जाने लगे थे ।। नज़र जब कभी इत्तफाकन मिली तो उन्हें देख कर मुस्कराने…