ग़ज़ल | Ghazal par Ghazal
ग़ज़ल ( Ghazal ) सिंहासन से हिली ग़ज़ल । कल जुलूस में मिली ग़ज़ल ।। पेरोकार गरीबों की । जगह-जगह से सिली ग़ज़ल ।। गुमी याद के जंगल में । टुकड़ा-टुकड़ा मिली ग़ज़ल ।। घिसते – घिसते ही होगी । चमकदार झिलमिली ग़ज़ल ।। उहापोह से जब निकली । दिखी…
ग़ज़ल ( Ghazal ) सिंहासन से हिली ग़ज़ल । कल जुलूस में मिली ग़ज़ल ।। पेरोकार गरीबों की । जगह-जगह से सिली ग़ज़ल ।। गुमी याद के जंगल में । टुकड़ा-टुकड़ा मिली ग़ज़ल ।। घिसते – घिसते ही होगी । चमकदार झिलमिली ग़ज़ल ।। उहापोह से जब निकली । दिखी…