Ghazal shabab chehra

वो खिला सा शबाब में चेहरा | Ghazal shabab chehra

वो खिला सा शबाब में चेहरा ( Wo khila sa shabab mein chehra )     यार  दीदार  कैसे होता फ़िर था  हंसी जो हिजाब में चेहरा   इस तरह देखा उस हंसी ने कल वो दिखे हर गुलाब में चेहरा   और वो हसने में लगा मुझपर था यहाँ भीगा आब में चेहरा  …