Ghoonghat par Kavita

यह घूंघट | Ghoonghat par Kavita

यह घूंघट ( Yah ghoonghat )    चेहरें पर आएं नक़ाब या शायरी, या फिर आएं घूँघट का ही पर्दा। चल रही सदियों पुरानी यह रीत, कम हो रही आज बात गई बीत।। हट रहा यह घूँघट करने का पर्दा, दिख रहा चमकता हुआ ये चंदा। राज छुपे थें इस मुखड़े में अनेंक, सुना दिया…