हसरतें | Hasratein shayari
हसरतें ( Hasratein ) हमारी हसरतें भी थी गुलों के बीच रहने की, मगर ताजिन्दगी काँटों में ही उलझे रहे हरदम। हम अपनी चाहतों के लाश को काधे पे ले करके, गुजारी जिन्दगी को सामने हँसते रहे हरदम। जो भी मिला इस जिन्दगी में मुझसे आकर के, उसी से प्यार की…