Hindi muktak

शीत | Hindi muktak

शीत ( Sheet )   सर्द हवाएं ठंडी ठंडी तन ठिठुरन सी हो जाती है कंपकंपी छूटती तन बदन में सर्दी खूब सताती है ठंडा माह दिसंबर का सर्दी का कोप बड़ा भारी कोहरा धुंध ओस छा जाये बर्फबारी हो जाती है।   बस दुबके रहो रजाई में अलाव कहीं जला देना स्वेटर मफलर कोट…

मुक्तक

मुक्तक | Muktak

मुक्तक ( Muktak )   1 सच जो लिख न सके वो कलम तोड़ दो, ये सियासत का  अपने  भरम  तोड़ दो, इन गुनाहों   के  तुम  भी  गुनहगार  हो, यार सत्ता  न  संभले  तो  दम  तोड दो।। 2 भटक रहा हूँ मैं अपनी तिश्नगी के लिए.. ज़रूरी हो गया तू मेरी जिन्दगी के लिए.. फक़त…