हिन्दी | Hindi par poem
हिन्दी ( Hindi ) बावन वर्णों से सजी हुई,मधुमय रसधार बहाती है। यह हिन्दी ही है जो जग में,नवरस का गीत सुनाती है।। संस्कृत प्राकृत पाली से शुभित, हिंदी जनमानस की भाषा, तू ज्ञान दीप बनकर प्रतिफल,कण कण में भरती है आशा, हिम नग से सागर तक अविरल, सौहार्द मेघ बरसाती है।। यह हिन्दी…