Hindi par poem
Hindi par poem

हिन्दी

( Hindi )

 

बावन वर्णों से सजी हुई,मधुमय रसधार बहाती है।
यह हिन्दी ही है जो जग में,नवरस का गीत सुनाती है।।
संस्कृत प्राकृत पाली से शुभित, हिंदी जनमानस की भाषा,
तू ज्ञान दीप बनकर प्रतिफल,कण कण में भरती है आशा,
हिम नग से सागर तक अविरल, सौहार्द मेघ बरसाती है।।
यह हिन्दी ०

मीरा तुलसी जायसी सूर, भूषण कबीर केशव से श्रेष्ठ,
रसखान विहारी पद्माकर,मतिराम नरोत्तम से यथेष्ट,
भारतेन्दु निराला पन्त गुप्त,महादेवी से हर्षाती है।।
यह हिन्दी ०

अति सरस सारगर्भित साहित्य, श्रृंगार तुम्हारा करते हैं,
रस छंद पद्य आख्यान गद्य,उपवन में तेरे खिलते हैं,
हिन्दी नाज जननी के समान,वात्सल्य दुलार जताती है।।
यह हिन्दी ०

श्रेष्ठ अर्थगौरव से सृजित, उत्तम लालित्य से सजा भाल।
मम्मट सरहपा चन्द्र जगनिक जैसे जन्मे भारती लाल,
भाषाओं की मणि शिखा शेष अक्षर मुक्ता द्युतियाती है।।
यह हिन्दी ०

 

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लेखक: शेषमणि शर्मा”इलाहाबादी”
प्रा०वि०-नक्कूपुर, वि०खं०-छानबे, जनपद
मीरजापुर ( उत्तर प्रदेश )

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