प्यार अब कहाँ ये नयी शाम है | Ghazal
प्यार अब कहाँ ये नयी शाम है ( Pyar ab kahan ye nayee shaam hai ) प्यार अब कहाँ ये नयी शाम है नफ़रतों की पुरानी अभी शाम है खो न जायें अंधेरो की गलियों में हम जल्दी चल यार घर हो रही शाम है याद फिर आ गया बिछड़ा साथी कोई…