Holi Prem

होली प्रेम | Holi Prem

होली प्रेम ( Holi Prem )   महक उठा फिर से टेशू, फूलों से अपने प्रिय लाल ! फागुन में उड़ने लगा फिर प्रेम से बने रंग का गुलाल ।। जब पिचकारी मोहे पिया ने मारी रंग डारी मोहे सभी रंगों से सारी, रगड़ रगड़ मोहे ऐसे रंग लगाया निकल गई थकन,सारी बीमारी ।। मचाया…