Humsafar

हमसफ़र | Humsafar

हमसफ़र ( Humsafar )  आज़ लिखनी है ग़ज़ल बस आप पर ओ हमसफ़र आप ही के साथ गुज़रे शब सहर ओ हमसफर। ना मिले गर दो जहां तो हर्ज़ है कोई नहीं आपकी बस एक हम पर हो नज़र ओ हमसफ़र। सात जन्मों तक रहे रिश्ता ये मांगी है दुआ बाख़ुदा मेरी दुआ में हो…