रंग नहीं है अब कोई भी | Hunkar ki poetry
रंग नहीं है अब कोई भी ( Rang nahin hai ab koi bhi ) रंग नही हैं अब कोई भी, जीवन की रंगोली में। जाने कितने जहर भरे हैं, अब लोगों की बोली में। चेहरे पर भी इक चेहरा है, कैसे किसको पहचाने, भीड़ मे भी हुंकार अकेला, रंगहीन इस होली…