ईमानदारी | Imandari par kavita
ईमानदारी ( Imandari ) ईमानदारी बहुत दुखी है झूठ का बोलबाला है लूट खसोट निरंतर जारी निकल रहा दिवाला है दीन ईमान की बातें सारी जनभाषण में बह जाती है छल कपट का राज हो रहा ईमानदारी दब जाती है मेहनत मजदूरी जो करते सदा चलते सीना तान अटल रहे सच्चाई पर…