Imandari par kavita
Imandari par kavita

ईमानदारी

( Imandari ) 

 

ईमानदारी बहुत दुखी है झूठ का बोलबाला है
लूट खसोट निरंतर जारी निकल रहा दिवाला है

 

दीन ईमान की बातें सारी जनभाषण में बह जाती है
छल कपट का राज हो रहा ईमानदारी दब जाती है

 

मेहनत मजदूरी जो करते सदा चलते सीना तान
अटल रहे सच्चाई पर ईमानदार सज्जन इंसान

 

खून पसीना कड़ी मेहनत हो दिन-रात परिश्रम भारी
गटक जाते जो लोग मजदूरी जिनकी शर्म गई मारी

 

सत्यशीलता सदाचरण ईमानदारी ही गहना है
दुनिया में आदर पाते सदा सच्चाई में जीना है

 

भले कितने तूफा आए जो सच की राहें चलते हैं
रग-रग में ईमानदारी वो जीवन में आगे बढ़ते हैं

 

छल छद्म की लघु सोच विस्तार कर रही लगातार
लड़ रही लड़ाई ईमानदारी वादों की चलती भरमार

 

रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

सुपात्र | Supatra par chhand

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here