Chaand ka deedar

चाँद का दीदार | Karva chauth ki kavita

चाँद का दीदार! ( Chaand ka deedar )   बाँहों में बीते उनके सारी उमर ये खंजन की जैसी नहीं हटती नजर ये। जिधर देखती हूँ बहार ही बहार है पति मेरे जीवन का देखो आधार है।   सोलह श्रृंगार करती नित्य उनके लिए मैं आज करवा की व्रत हूँ ये उनके लिए मैं। वो…

Karwa Chauth kavita 2021

करवा चौथ | Karwa Chauth kavita

करवा चौथ ( Karwa Chauth ) ( 3 )  मेरे जीवन की चांदनी, तुझको लगता हूं चंद्र प्रिये। रोम रोम में स्नेह रश्मियां, भीगी सुधारस रंध्र प्रिये। दिल से दिल के तार जुड़े, सुरों का संगम भावन हो। मैं मनमौजी बादल हूं, तुम मधुर बरसता सावन हो। सौम्य सुधा सुधाकर पाओ, करती हो उपवास प्रिये।…