आम के आम गुठलियों के दाम | Kavita Aam ke Aam
आम के आम गुठलियों के दाम ( Aam ke Aam guthliyon ke daam ) आम के आम हो जाए, गुठलियों के दाम हो जाए। अंगुली टेड़ी करनी ना पड़े, अपना काम हो जाए। कविता में रस आ जाए, श्रोताओं के मन भा जाए। कलमकार रच कुछ ऐसा, दुनिया में नाम हो जाए। आम वही…