Kavita Bina Soche Samjhe

बिना सोचे समझे | Kavita Bina Soche Samjhe

बिना सोचे समझे ( Bina soche samjhe )    कहां जा रहे हो किधर को चलें हो बिन सोंचे समझे बढ़े जा रहे हो।   कहीं लक्ष्य से ना भटक तो गये हो ! फिर शान्त के क्यों यहां हम खड़े हो!   न पथ का पता है न मंजिल है मालुम दिक् भर्मित होके…