Kavita dhawal

धवल | Kavita dhawal

धवल ( Dhawal )   हिमगिरी से हिम पिघल पिघल धवल धार बन बहता है धार धवल मानो हार नवल हिमपति कंठ चमकता है कल कल बहता सुरसरि जल राग अमर हिय भरता है दु:ख हारण कुल तारण गंगा का जल अविरल बहता है   धवल चंद्र की रजत चांदनी धरती को करती दीप्तिमान मानो…