घर की इज्जत बची रहे | Kavita Ghar ki Izzat
घर की इज्जत बची रहे ( Ghar ki izzat bachi rahe ) ज्यादा पाकर मैं इतराऊं, कम से मनवा दुखी रहे। दोनों की जाने दो भगवन, घर की इज्जत बची रहे।। घर आया भूखा ना जाए, नहीं मांगने मैं जाऊं। इतनी ताकत मुझको देना, मेहनत करके ही खाऊं।। अपने कर्मों पर इतराऊं, पर सेवा…