कुदरत की आवाज | Kavita Kudrat ki Aawaj
कुदरत की आवाज ! ( Kudrat ki aawaj ) कुदरत से छल करके कहाँ जाओगे, बहाया उसका आँसू तो बच पाओगे? कुदरत का सिर कुचलना मुनासिब नहीं, बचाओगे उसको तो दुआ पाओगे। जोशीमठ में जो मची है हाय – तौबा, क्या फजाओं को फिर से हँसा पाओगे? काटा पहाड़, बनाई हाट, सुरंग,सड़क, क्या फिर…