मां | Kavita maa
मां ( Maa ) मां को समर्पित एक कविता कहां है मेरी मां उससे मुझको मिला दो l हाथों का बना खाना मुझको खिला दो l दो पल की जिंदगी मुझको दिला दो l एक बार गुस्से से अपनी डांट पिला दो l फूल मेरे आंगन में मां तुम खिला दो…
मां ( Maa ) मां को समर्पित एक कविता कहां है मेरी मां उससे मुझको मिला दो l हाथों का बना खाना मुझको खिला दो l दो पल की जिंदगी मुझको दिला दो l एक बार गुस्से से अपनी डांट पिला दो l फूल मेरे आंगन में मां तुम खिला दो…
माँ ( Maa ) जन्मदात्री धातृ अम्बा अम्बिका शुभनाम हैं। माँ से बढ़कर जगत में न तीर्थ है न धाम हैं।। नौ महीने उदर में रख दिवस निशि संयमित रही, प्राणघातक असह्य पीड़ा प्रसव तू जननी सही। कड़कड़ाती ठंड में गीला बिस्तर मैने किया, ठिठुरती ही रही मैया सूखे में मुझको किया।। तेरी गोदी…