मां | Kavita maa
मां
( Maa )
मां को समर्पित एक कविता
कहां है मेरी मां उससे मुझको मिला दो l
हाथों का बना खाना मुझको खिला दो l
दो पल की जिंदगी मुझको दिला दो l
एक बार गुस्से से अपनी डांट पिला दो l
फूल मेरे आंगन में मां तुम खिला दो l
गुड़िया खिलौने नए मुझको दिला दो l
नए नए कपड़े मुझको सिलादो l
आंचल में उसके दो पल सुला दो l
आंसू मेरे पोछ जाएं दो पल जिला दो l
हो जाए गलती तो उसको , भुला दोl
रिश्ते निभाना मां तुम सिखा दो l
रूठू कभी कभी मुझको हंसा दोl
आंचल में तुम मुझे छिपा दोl
पापा की गोदी में बिठा दोl
मेरी हर गलती पर पर्दा गिरा दो l
प्रीत है कितनी मां तुम आके दिखा दो ll