Kavita maa
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मां

( Maa )

मां को समर्पित एक कविता

 

 

कहां है मेरी मां उससे मुझको मिला दो l

हाथों का बना खाना मुझको खिला दो l

 

दो पल की जिंदगी मुझको दिला दो l

एक बार गुस्से से अपनी डांट पिला दो l

 

फूल मेरे आंगन में मां तुम खिला दो l

गुड़िया खिलौने नए मुझको दिला दो l

 

नए नए कपड़े मुझको सिलादो l

आंचल में उसके दो पल सुला दो l

 

आंसू मेरे पोछ जाएं दो पल जिला दो l

हो जाए गलती तो उसको , भुला दोl

 

रिश्ते निभाना मां तुम सिखा दो l

रूठू कभी कभी मुझको हंसा दोl

 

आंचल में तुम मुझे छिपा दोl

पापा की गोदी में बिठा दोl

 

मेरी हर गलती पर पर्दा गिरा दो l

प्रीत है कितनी मां तुम आके दिखा दो ll

 

❣️

डॉ प्रीति सुरेंद्र सिंह परमार
टीकमगढ़ ( मध्य प्रदेश )

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