नहाने लगी | Kavita nahane lagi
नहाने लगी ( Nahane lagi ) दोपहर ओहदे पे जो आने लगी । धूप भी अपने तेवर दिखाने लगी ।। एक भोंरें को छू के चमेली खिली । दूसरी अपनी पेंगे बड़ाने लगी ।। छू के चन्दा की किरणें कुमुदनी हसीं । और अमिसार में जगमगाने लगी ।। रात रानी से …