Kavita Prempash Anubandhan

प्रेमपाश अनुबंधन | Kavita Prempash Anubandhan

प्रेमपाश अनुबंधन ( Prempash anubandhan )    शरद गर्म वर्षा का आना, हेंमत शिशिर बसंत सुहाना। अलग रंग में रंगी प्रकृति, कैसा सुंदर जग का बंधन।। मानो प्रेमपाश अनुबंधन।। ऋतु बसंत को मदन कहां है, जन-जन में उल्लास बहा है। बाग बगीचे सब हरषाए, नव पल्लव में मोद भरा है। मन मधुकर सम है स्पंदन।…