Kavita Privartan

कविता परिवर्तन | Kavita Privartan

कविता परिवर्तन ( Kavita Parivartan )   सोचने को मजबूर एक सोच सुबह के आठ बजे आते हुए देखा एक बेटी को शौच करते हुए नजरें मैंने घुमा ली शर्म उसे ना आए मुझे देख कहीं लज्जित ना हो जाए बना है घर पर शौचालय नहीं शादी के लिए सोना तो जोड़ा पर सुरक्षा के…