रात भर | Kavita Raat Bhar
रात भर ( Raat Bhar ) आकर भी आप करीब ठहरे नहीं क्यों पल भर बढ़ी धड़कनों में चलती रही हलचल रात भर गुजरती रही रात ,फ़लक लिए निगाहों में सन्नाटा भी चीरता रहा हो मानों मुझे रात भर सो गये होंगे आप बेखबरी की नींद के दामन में खोलते रहे गांठ हम आपकी…