रात भर
( Raat Bhar )
आकर भी आप करीब ठहरे नहीं क्यों पल भर
बढ़ी धड़कनों में चलती रही हलचल रात भर
गुजरती रही रात ,फ़लक लिए निगाहों में
सन्नाटा भी चीरता रहा हो मानों मुझे रात भर
सो गये होंगे आप बेखबरी की नींद के दामन में
खोलते रहे गांठ हम आपकी यादों के रात भर
कह नहीं सकता कि नींद आई या ख़्वाब में आप
कह न सके कुछ तुम्हे,देखते ही रहे हम रात भर
अल्साई सुबह ने भी, ली अंगड़ाई जब मुस्कराकर
समझ गये हम,शायद इसे भी नींद आई नहीं रात भर
कुछ तो है खास, इन मदभरी आँखों के जाम में
नशे में हुए भी नहीं, और पीते भी रहे रात भर
( मुंबई )
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