ताबूत | Kavita Taaboot
ताबूत ( Taaboot ) गुजर जाती हैं बातें भी, गुजरे हुए दिन की तरह छोड़ जाती हैं दर्द भी चुभती कील की तरह रख लो दिल में भले, किसी को जितना चाहो रहोगे बातों में मगर तुम, किसी गैर की तरह रहो लुटाते जान अपनी, ये जान तो तुम्हारी है झटक देंगे आन पर…