कैसे उड़े अबीर | Ude Abir
कैसे उड़े अबीर ( Kaise Ude Abir ) फागुन बैठा देखता, खाली है चौपाल । उतरे-उतरे रंग है, फीके सभी गुलाल ।। ●●● सजनी तेरे सँग रचूँ, ऐसा एक धमाल । तुझमे खुद को घोल दूँ, जैसे रंग गुलाल ।। ●●● बदले-बदले रंग है, सूना-सूना फाग । ढपली भी गाने लगी, अब तो बदले…