व्रीड़ा

व्रीड़ा | Kavita Vrida

व्रीड़ा (  Vrida ) खोया स्वत्व दिवा ने अपना, अंतरतम पीड़ा जागी l घूँघट नैन समाए तब ही, धड़कन में व्रीड़ा जागी ll अधर कपोल अबीर भरे से, सस्मित हास लुटाती सी, सतरंगी सी चूनर ओढ़े, द्वन्द विरोध मिटाती सी, थाम हाथ साजन के कर में सकुचाती अलबेली सी, ठिठक सिहर जब पाँव बढ़ा तो,…