खाकी मेरी जान इससे ही पहचान | Khaki par kavita
खाकी मेरी जान इससे ही पहचान ( Khaki meri jaan isse hi pehchan ) खाकी है मेरी जान और इससे ही मेरी पहचान, आन-बान एवं मेरी शान इसी से है मेरा ईमान। पहनकर निकलता हूॅं घर से इसमें है मेरी शान, जिसका करते है सभी आदर सत्कार-सम्मान।। चाहें भयंकर ऑंधी आऐ या…