कृष्ण कन्हाई | Krishna Ghazal
कृष्ण कन्हाई ( Krishna Kanhai ) किशन बाँसुरी तूने जब भी बजाई तिरी राधिका भी चली दौड़ी आई नहीं और कुछ देखने की तमन्ना तुम्हारी जो मूरत है मन में समाई हुई राधिका सी मैं भी बाबरी अब कथा भागवत माँ ने जब से सुनाई रहे भक्त तेरी शरण में सदा जो भंवर से…