लड़खड़ाये आज फिर | Ladkhadaye aaj Phir
लड़खड़ाये आज फिर ( Ladkhadaye aaj phir ) लड़खड़ाये आज फिर ये क्या हो गया। संभाल न पाया आज ये क्या हो गया। धीरज रहा न धर्म बचा बेचैनी सी छाई। स्वार्थी इंसां हुआ कैसी ये आंधी आई। टूटी माला आज फिर ये क्या हो गया। बिखर चले मोती फिर ये क्या हो गया।…