लघुदीप | Laghudeep
लघुदीप ( Laghudeep ) सघन तिमिर को तिरोहित कर देती है कक्ष से नन्हीं-सी लौ लघुदीप की। टहनी से आबद्घ प्रसुन बिखर जाते है धरा पर सान्ध्य बेला तक पर, असीम तक विस्तार पाती है– उसकी गन्ध रहता है गगन में चन्द्र पर, ज्योत्स्ना ले आती है उसे इला के नेहासिक्त अंचल तक बाँध…