Majdoor par kavita

मजदूर का स्वप्न | Majdoor par kavita

मजदूर का स्वप्न ( Majadoor ka swapan )   ऊंची ऊंची अट्टालिका है , बड़े-बड़े यह भवन खड़े हैं l चारों और यह भरे पड़े हैं, मेरे हाथों से ही बने हैं l।   कितने भवनों का निर्माता, खून पसीना मैं बहाता। मेरे घर के हाल बुरे हैं, पत्नी बच्चे भूखे पड़े हैं l।  …