मंथन | Manthan
मंथन ( Manthan ) पत्थरों से टकराकर भी लहरों ने कभी हार नही मानी बदल देती है उसे भी रेत के कणों मे चलती नहीं शिलाखंड की मनमानी ज्वार भाटा का होना तो नियति है अमावस और पूनम की रात होगी ही सागर की गहराई पर नाज है उन्हें हौसले में कमी लहरों ने…