यारों ढ़लतें इस मौसम ए बेरुख़ी के बाद भी | Ghazal
यारों ढ़लतें इस मौसम ए बेरुख़ी के बाद भी ( Yaron dhalte is mausam -e -berukhi ke baad bhi ) यारों ढ़लतें इस मौसम ए बेरुख़ी के बाद भी फूल महके है इस देखो शबनमी के बाद भी दुश्मनी दिल से निभायी दोस्ती को तोड़कर वो मिला आकर मुझे है दुश्मनी के…