मेरी ग़ज़ल | Meri Ghazal
मेरी ग़ज़ल ( Meri Ghazal ) इक ग़ज़ल बा-कमाल सी हो तुम कोई आला ख़याल सी हो तुम रूह की जेब में रखा है जो उस महकते रुमाल सी हो तुम उलझे रहते हैं हम भी पहरों तक ख़ूबसूरत सवाल सी हो तुम तितलियाँ जिस पे देर तक बैठे सुर्ख़ फ़ूलों की डाल सी…
मेरी ग़ज़ल ( Meri Ghazal ) इक ग़ज़ल बा-कमाल सी हो तुम कोई आला ख़याल सी हो तुम रूह की जेब में रखा है जो उस महकते रुमाल सी हो तुम उलझे रहते हैं हम भी पहरों तक ख़ूबसूरत सवाल सी हो तुम तितलियाँ जिस पे देर तक बैठे सुर्ख़ फ़ूलों की डाल सी…