Namumkin hai

नामुमकिन है | Namumkin hai

नामुमकिन है ( Namumkin hai )    काजल की कालिख हर ले काजल, नामुमकिन है। नफ़रत का नफ़रत से निकले हल, नामुमकिन है। हम जैसा बोएँगे, वैसा ही तो काटेंगे, दुष्कर्मों का निकले शुभ प्रतिफल, नामुमकिन है। दुख-दर्दों, संघर्षों के कटु अनुभव भी देगा, जीवन सुख उपजाएगा अविरल, नामुमकिन है। उनके आश्वासन का मित्रो कोई…