पतंग | Patang par kavita
पतंग ( Patang ) *** पतली सी डोर लिए हवाओं से होड़ लिए गगन में उड़ता फर फर ऊपर नीचे करता सर सर। बालमन युवामन को यह भाए विशेषकर मकर संक्रांति जब आए। यूं तो सालों भर बिकता है पतंग, बच्चे उड़ाते होकर मलंग । लिए चलें पतंग सभी, मैदानों को जाएं, या फिर किसी…

