वतनपरस्ती | Patriotism Poem in Hindi
वतनपरस्ती ( Watan parasti ) इश्क,आशिकी,महोब्बत , जुनूं , तुझसा ही वतन, वतन सा ही है तू…. कहाँ वो अमन, कहाँ मिले सुकूं न सरहदों के इधर , न सरहदों से दूर…. आज़ाद हुये मगर गुलाम अभी तलक बात मज़हबों की , इंसानियत से दूर…. खून तो खौलता है, बहता भी है खून मगर…