फासला | Phasala
फासला ( Phasala ) सोचता हूं उकेरूं आज आपका चित्र या लिखूं अनाम कुछ भाग्य का लेखा लिखा तो बहुत कुछ अब तक हमने फिर भी लगता है की कुछ नही लिखा रख लिया हूं स्मृतियों को सहेजकर मिले थे आप जब हमसे पहली बार हुई न कुछ बातें ,तब भी बहुत हो गईं…