पिता | Pita par kavita
पिता ( Pita : Kavita ) रोज सवेरे निकल पड़ता पिता परिवार की खातिर कठिन परिश्रम पसीना बहाता घर संसार की खातिर बच्चों की शिक्षा ऊपर से मोटी फीस का चक्कर बारिश के मौसम में होती टूटे छप्पर की फिकर जीवन भर पूरी करता रहता सारी फरमाइशें घर की लगता है ऐसा…