Poem ab baharon se bhi dar lagta hai

अब बहारों से भी डर लगता है | Poem ab baharon se bhi dar lagta hai

अब बहारों से भी डर लगता है ( Ab baharon se bhi dar lagta hai )   तूफानों से लड़ते-लड़ते बहारों से भी डर लगता है। रहा नहीं वो प्रेम सलोना अंगारों सा घर लगता है।   शब्द बाण वो तीखे तीखे विषभरे उतरे दिल के पार। ना जाने कब लूट ले जाए हमको अपना…