Poem abhi aur sadhna hoga

अभी और सधना होगा | Poem abhi aur sadhna hoga

अभी और सधना होगा ( Abhi aur sadhna hoga )   नहीं  साधना  पूरी  हुई है, अभी और  सधना होगा। अभी कहाँ कुंदन बन पाये, अभी और तपना होगा।।   अभी निशा का पहर शेष है, शेष अभी दिनकर आना अभी भाग्य में छिपा हुआ है, खिलना या मुरझा जाना अभी  और  कंटक  आना  है,…