बगावत ना करो | Poem Bagawat na Karo
बगावत ना करो ( Bagawat na karo ) जब दे रही हो दिल तो किफायत ना करो, है प्यार की तमन्ना तो तिजारत ना करो। तन्हाइयों से आखिर खेलोगी कब तलक, इस मदभरी तू रात में बगावत ना करो। तुम पाओगी यहाँ पे खुशबुओं का डेरा, है दो दिलों का मेल ये सियासत ना…