बस वो बिकी नहीं | Poem bas wo biki nahi
बस वो बिकी नहीं ( Bas wo biki nahi ) श्रृंगार की गजल कोई, हमने लिखी नहीं। सूरत हुजूरे दिल की, जबसे दिखी नहीं ॥ बिक गई थी लाखो में, इक तस्वीर बेहया, जिसमें लिखा था मां, बस वो बिकी नहीं ॥ हंसते रहे तमाम उम्र, जिसको छिपाके हम, हमसे वो बातें…