चराग- ए – मोहब्बत | Poem Charagh-E-Mohabbat
चराग- ए – मोहब्बत ( Charagh-e-mohabbat ) चराग-ए-मोहब्बत जलाने चला हूँ, नई जिन्दगी अब बसाने चला हूँ। जुल्फों को बाँध ले तू ऐ! महजबी, मौसम-ए-बहार मैं लाने चला हूँ। आशिकी के अंदर बसता है मौसम, दौरे जमाने को बताने चला हूँ। धड़कता है दिल मेरा तेरे सहारे, छलकता वो जाम आज पीने चला हूँ।…