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चुलबुली की यादें | Poem Chulbuli

चुलबुली की यादें ( Chulbuli ki yaadein )   ये गर्म सर्द हवाओ की साजिश है कि बिखर जाउँ मैं तेरे  शहर  आऊं  और  तेरी बाहों में सिमट जाउँ मैं ये चाय का शौक कब का भुला दिया मैं चुल्बुली हो जाये तू मेरी बाहों में तेरे होंठो से लग जाऊं मैं तुम  कामों  में …